नई दिल्ली: मोदी सरकार ने रेलवे बजट को अलग से पेश करने की पुरानी प्रथा को खत्म करने का फैसला लिया है। मोदी सरकार अब 92 साल से लगातार हर साल पेश हो रहे रेल बजट को खत्म कर आम बजट में ही इसको जोडऩे की तैयारी में जुड़े हुए है। अगले फाइनेंशियल इयर (2017-18) से यह अलग से पेश नहीं होगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 5 सदस्यीय टीम बनाई है जो इस दिशा में काम करेगी। रेल बजट को खत्म करने की मुख्य वजह इसके माध्यम से राजनीतिक कद आंकने की प्रथा को खत्म करना माना जा रहा है।
रेल मिनिस्टर सुरेश प्रभु भी रेल बजट के खत्म करने की बात कहते रहे हैं। सुरेश प्रभु ने मंगलवार को राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली से भी देश के आर्थिक विकास और ट्रांसपोर्टरों को लंबे समय तक फायदा पहुंचाने के लिए रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाने की बात कही थी।
1996 के बाद से कई राजनीतिक दल भी रेल बजट को खत्म करने की बात कर रहे थे। माना जाता है कि रेलवे पोर्टफोलियो किसी रीजनल पार्टी के पास होता है। इसका मकसद कहीं न कहीं राजनीतिक फायदा लेना भी होता है। गौरतलब हो कि 1924 से देश का रेल बजट अलग से रखा जा रहा है।