पेरिस पैरालंपिक में शनिवार को पुरुषों की भाला फेंक एफ41 फाइनल में नाटकीय प्रदर्शन के बीच ईरान के बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद भारत के नवदीप सिंह के रजत पदक को स्वर्ण में बदल दिया गया। यह पुरुषों की भाला एफ41 श्रेणी में भारत का पहला स्वर्ण पदक है। इसके साथ ही पैरालंपिक गेम्स में भारत के 7 गोल्ड मेडल हो चुके हैं। भारत ने किसी भी पैरालंपिक में इतने गोल्ड नहीं जीते थे।
दूसरे राउंड में की जोरदार वापसी- नवदीप का पहला प्रयास फाउल रहा लेकिन उन्होंने दूसरे प्रयास में 46.39 मीटर के थ्रो के साथ शानदार वापसी की। तीन साल पहले तोक्यो पैरालंपिक में चौथे स्थान पर रहने वाले नवदीप के तीसरे थ्रो ने स्टेडियम को रोमांचित कर दिया। उन्होंने 47.32 मीटर के विशाल थ्रो के साथ पैरालंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया और बढ़त बना ली। सादेघ ने हालांकि अपने पांचवें प्रयास में भारतीय खिलाड़ी से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 47.64 मीटर का रिकॉर्ड थ्रो किया।
ईरान का खिलाड़ी अयोग्य घोषित – फाइनल की समाप्ति के कुछ समय बाद ईरान के खिलाड़ी को अयोग्य घोषित कर दिया गया, जिसके कारण नवदीप ने शीर्ष स्थान हासिल किया। सयाह को बार-बार आपत्तिजनक झंडा प्रदर्शित करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया। वह अपनी हरकतों से स्वर्ण पदक गंवा बैठे।
अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति के नियम एथलीटों को आयोजन में कोई भी राजनीतिक संकेत देने से रोकते हैं और सयाह को गैर-खेल/अनुचित आचरण के लिए अंतिम परिणामों से बाहर कर दिया गया था। इस स्पर्धा का रजत विश्व रिकॉर्ड धारक चीन के सन पेंगजियांग (44.72) के नाम रहा जबकि इराक के नुखाइलावी वाइल्डन (40.46) ने कांस्य पदक जीता। एफ41 श्रेणी छोटे कद के एथलीटों के लिए है।
नवदीप ने इस स्वर्ण पदक के साथ तोक्यो खेलों में चौथे स्थान पर रहने की कसक को दूर की। आयकर विभाग में निरीक्षक के पद पर तैनात नवदीप ने 2017 में खेल में आने के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर पांच बार पदक जीते हैं। उन्होंने इस साल की शुरुआत में पैरा-विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।