Monday , December 22 2025 3:20 AM
Home / News / ब्रिटेन सरकार ने खारिज की भारतीय संविधान बारे सिखों की याचिका

ब्रिटेन सरकार ने खारिज की भारतीय संविधान बारे सिखों की याचिका


ब्रिटेन के सिखों की याचिका के जवाब में प्रधानमंत्री थेरेसा में की सरकार ने भारतीय संविधान की धारा 25 (बी) की निंदा करने से साफ इंकार कर दिया है। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत के विकास व विचारों की आजादी व नैतिक मूल्यों को बरकरार रखने की वचनबद्धता की प्रशंसा की। ब्रिटेन सरकार ने 25 अप्रैल को अपने जवाब में कहा कि इस धारा के महत्वपूर्ण सिद्धांत में अंतररात्मा की आजादी को लाजिमी किया गया है व सिखों सहित सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतन्त्रता दी गई है।

इस संबंध में इंग्लैंड निवासी शरणार्थी व सिख अलगाववादी परमजीत पम्मा ने याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि इंडीपैंडेंस एक्ट 1947 से पहले ब्रिटेन ने सिखों को उनकी अलग धार्मिक पहचान के आधार पर मान्यता दी थी। 26 जनवरी 1950 को भारत ने अपने संविधान का एेलान किया जिसमें ये मान्यता समाप्त कर दी गई। भारतीय संविधान की धारा 25 (बी) सिखों को हिंदू दर्शाती है व सिखों को हिंदू मैरिज एक्ट, अल्पसंंख्यक व संरक्षकता एक्ट, अडॉप्शन एंड मेंटीनैंस आदि एक्ट मानने को मजबूर करती है।

पटीशन में पम्मा ने कहा कि सिखों की धार्मिक पहचान के मुद्दे पर वे ब्रिटेन सरकार का का ये जवाब उन्हें मंजूर नहीं और चुनाव लड़ने वाले एम.पीज को जोर देकर कहेेंगे कि वे प्रधानमंत्री के इस जवाब का विरोध करें । गौरतलब है कि इससे पहले भारत सरकार ने आर.एस.एस. नेता रुलदा सिंह व 2010 में पंजाब में हुए बम धमाकों के आरोपों के तहत पम्मा की हवालगी का असफल प्रयास किया था। थेरेसा मे के जवाब की निंदा करते सिख फॉर जस्टिस के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा कि ब्रिटेन सरकार ने भारत से आर्थिक लाभ लेने के लिए सिख भाईचारे को कुर्बान कर दिया है। इस पटीशन के समर्थन में ब्रिटेन की गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों सहित अन्य सिख संगठनों ने आवाज बुलंद की थी।