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आखिर बुद्ध से हारा तालिबान, माना- इस्लाम से पहले बौद्ध ही था उनका धर्म


इस्लामाबादः आखिर बुद्ध के प्रेम के सामने तालिबान हार ही गया और मान लिया कि इस्लाम से पहले बौद्ध ही उनका धर्म था। पाकिस्तान की स्वात घाटी के जहानाबाद इलाके 7 वीं शताब्दी में ग्रेनाइट पर्वत पर उकेरी गई, कमल आसन की मुद्रा में बुद्ध की प्रतिमा को 2007 में तालिबानियों ने अफगानिस्तान के बामियान बुद्ध की तर्ज पर डायनामाइट से उड़ा दिया था। हिंसा के आघात से प्रभावित इस इलाके में सहनशीलता की मिसाल कायम करते हुए इस प्रतिमा को दोबारा बहाल कर लिया गया है।
कई साल तक पाकिस्तान की स्वात घाटी तालिबान के कब्जे में रही। इस दौरान उन्होंने इस इलाके की ऐतिहासिक पहचान और संस्कृति को तहस नहस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इससे स्वात में बुद्धिज्म के विशेषज्ञ परवेश शाहीन जैसे लोगों को बहुत चोट पहुंची। एक समाचार एजेंसी से बातचीत को दौरान परवेश हाशमी ने कहा कि मुझे ऐसा लगा जैसे उन्होंने मेरे पिता, मेरी संस्कृति और इतिहास पर हमला किया। अब इटली के पुरातत्व विशेषज्ञों की मदद से इलाके को संरक्षित किया जा रहा है। 20 फुट ऊंची इस प्रतिमा को लगभग एक दशक पहले चरमपंथियों ने इसके ऊपर तक चढ़ कर विस्फोटक सामग्री लगाई जिससे बुद्ध के चेहरे के ऊपरी हिस्से को नुकसान हुआ, जबकि इसके पास एक अन्य मूर्ति के टुकड़े-टुकड़े हो गए।
शाहीन के मुताबिक यह प्रतिमा शांति, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। हम किसी व्यक्ति, किसी मजहब से नफरत नहीं करते. किसी से नफरत करना बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं। अपने पड़ोसी अफगानिस्तान के जैसे ही पाकिस्तानी तालिबान चरमपंथियों ने पूरी आबादी को कट्टरपंथी इस्लाम से आतंकित किया। उन्होंने स्वात घाटी मे अतीत की कला के सभी प्रतिरूपों को गैर इस्लामी करार देकर प्रतिबंध लगा दिया।स्वात घाटी में चले हिंसा के लंबे दौर मे हजारों लोग मौत के घाट उतार दिए गए, वहीं तकरीबन 15 लाख लोग बेघर हो गए। जिसका अंत 2009 मे पाकिस्तानी सेना के गंभीर हस्तक्षेप के बाद बाद हो पाया।