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शादी के बाद ससुराल में क्यों लड़कियों को होती है घुलने-मिलने में दिक्कत

चाहे लव मैरिज हो या फिर अरेंज मैरिज बहू बनने के बाद ससुराल में पहला कदम रखते ही लड़कियों के लिए जैसे चुनौतियां शुरू हो जाती हैं। उन्हें सबसे बड़ा टेंशन तो ये रहता है कि उनकी ससुराल में जिंदगी कैसी होगी? इसी के साथ जुड़ा होता है ये डर कि क्या वह ससुराल व अपने नए घरवालों के साथ सहज भी हो पाएंगी या नहीं? लेकिन इन सब भावनाओं के पीछे आखिर वजह क्या होती है? और क्यों लड़की को पति के घर में जल्दी घुलने-मिलने में परेशानी आती है?
अनजान लोग और अनजान जगह :
आप किसी नई जगह जाएं या फिर शहर बदलकर नौकरी करने या फिर घर बदल लें, वहां पर सहज होने में आपको समय लगता ही है। बस इसी तरह का अनुभव लड़कियों का भी होता है। वह अपने मायके में सालों से रह रही होती हैं। अगर वह इंडिपेंडेंट भी रह रही हों, तो भी वह अपनी जगह और आसपास को लोगों के साथ कम्फर्टेबल हो चुकी होती हैं।
शादी के बाद ससुराल में जाना, उनके लिए घर से लेकर सारी चीजें नई बना देता है। वह भले ही शादी से पहले अपने सास-ससुर से कई बार मिली हों, लेकिन उनके साथ रहने का अनुभव बिल्कुल अलग होता है। उनके लिए वे अनजान की तरह ही होते हैं, जिन्हें समझने व उनके साथ ट्यूनिंग बैठाने में उन्हें समय लगता है।
कहीं बुरा न मान जाएं : ये डर तो लड़की को तब से लगना शुरू हो जाता है, जब उसकी शादी तय होती है। कुछ ऐसा न कह दूं या कर दूं कि उन्हें बुरा लग जाए। ये उन्हें पसंद तो आएगा ना? आदि जैसे विचारों से उसका दिमाग भरा हुआ रहता है। यही चीज शादी के बाद भी जारी रहती है।
कोई भी लड़की विवाह के बाद कुछ ऐसा जाने-अनजाने में नहीं करना चाहेगी, जो उसके पति या फिर ससुराल वालों को हर्ट कर दे। इस वजह से वह फूंक-फूंककर कदम रखती है और जब ऐसा होता है, तो जाहिर सी बात है कि उसके मन में असहजता बनी ही रहेगी। हालांकि, बाद में जब वह सबकी पसंद-नापसंद को समझ जाती है, तो वह सबके साथ आराम से घुलने-मिलने लगती है।
अपनी स्पेस शेयर करना : अपने घर में पहले जहां लड़की की खुद की अलमारी, बेड, कमरा आदि होते हैं, वहीं शादी के बाद उसे ये सब चीजें पति के साथ शेयर करनी पड़ती हैं। उसकी पर्सनल स्पेस जो पहले बहुत बड़ी होती थी, वह अचानक से छोटी हो जाती है। यही लड़के के साथ भी होता है और इस वजह से लड़की को इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि वह खुद को कम्फर्टेबल बनाने के लिए जो बदलाव कर रही है, वो पति को अनकम्फर्टेबल न कर दें। इस पूरी स्थिति के साथ भी सहज होने में बहुत समय लगता है।
ससुराल वालों का सपोर्ट : लड़की कितनी जल्दी या फिर देरी से अपने ससुराल वालों के साथ सहज होती है, इसमें उसके पति की तरफ के घरवालों की बड़ी भूमिका होती है। अगर ऐसे इन-लॉज मिलें, जो बहू को प्रोत्साहित करते रहें, सपोर्ट करें और उसे नई चीजों में ढलने का पूरा समय देने के साथ गाइड करते रहें, तो लड़की जल्दी सहज हो जाती है। वहीं स्थिति अगर इसके उलट हो, तब तो शादी के कई साल बाद भी लड़की के मन से असहजता का भाव नहीं जा पाता है।